लालू यादव ने गिरफ्तारी से बचने केंन्द्र पर बनाया था दबाव, सीएम ममता बनर्जी की देखरेख में हुआ सबसे बड़ा घोटाला

 

नई दिल्ली……

राजद सुप्रीमों और पूर्व केन्द्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव की जमानत के अनुरोध को खारिज कर दिया। लेकिन खबरों के बीच पुलिस अधिकारी और सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक यूएन विश्वास ने अपनी नई किताब में कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। विश्वास ने अपनी किताब में लालू प्रसाद की गिरफ्तारी से जुड़ी समस्याओं का उल्लेख किया है। साथ ही विश्वास ने शारदा चिट फंड को सबसे बड़ा घोटाला बताया है।

यूएन विश्वास की किताब अभी प्रकाशित भी नहीं हुई है, लेकिन इसमें लिखी बातें बंगाल से लेकर देशभर में सुर्खियां बटोर रही है। एक साक्षात्कार में यूएन बिश्वास ने 2013 के शारदा घोटाले को ममता की देख-रेख में हुआ घोटाला बताया है। इसके साथ ही विश्वास ने अपनी किताब में विस्तार से बताया है, कि कैसे इसमें फंसे ममता के करीबियों को बचाने के लिए बहुत कोशिश की गई। विश्वास की पुस्तक उस समय में आने वाली है, जबकि बंगाल में चुनाव होने में कुछ ही महीनों का वक्त शेष है।

11 मार्च 1996 को पटना हाईकोर्ट ने चारा घोटाला के सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआई के सह निदेशक यू एन विश्वास तब चारा घोटाले की जांच कर रहे थे और उन्हें घोटाले के मुख्य आरोपी और बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार करना था। लेकिन तभी हुआ कुछ ऐसा जिसने सीबीआई को भी चैंका दिया। लालू के खिलाफ वारंट जारी हुआ, लेकिन बिहार पुलिस ने लालू को गिरफ्तार करने से साफ इनकार कर दिया। यूएन विश्वास ने लालू की गिरफ्तारी के लिए बिहार के मुख्य सचिव से संपर्क भी साधा था, लेकिन वे उपलब्ध नहीं हुए। फिर डीजीपी से बातचीत की गई, तब उन्होंने एक तरीके से पूरे मामले को ही टाल दिया। इसके एक बड़ा सवाल की घोटाले के आरोपी लालू प्रसाद की गिरफ्तारी आखिर कैसे होगी? मामले पर राज्य अधिकारियों से सामंजस्य न बैठ पाने के कारण यू एन बिस्बास ने सीबीआई के पटना स्थित कार्यलय में एक अधीक्षक रैंक के अधिकारी से कहा कि वह सेना से संपर्क करे और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने में उसकी मदद लें। इतना होते ही मामला सीधा बिहार से दिल्ली पहुंच गया। उस वक्त के गृहमंत्री इंद्रजीत गुप्ता ने संसद को बताया कि पटना पहुंचे सीबीआई अधिकारियों ने मदद के लिए दानापुर कैंट के ऑफिसर इंचार्ज को पत्र लिखा है। पत्र में सीबीआई ने सेना से कम से कम एक कंपनी सशस्त्र बल तुरंत भेजने की मांग की थी। सीबीआई से मदद का पत्र मिलने के बाद दानापुर कैंट के ऑफिसर इंचार्ज ने तुरंत ही इस बारे में अपने अधिकारियों को बताया। इसके बाद सेना की तरफ से जवाब आया। सेना की तरफ से भी पहले निराशा हाथ लगी थी। सेना ने सीबीआई को उसके खत के जवाब में कहा, केवल अधिसूचित नागरिक अधिकारियों के अनुरोध पर सहायता के लिए आ सकते हैं। मामला फिर से एक बार कोर्ट पहुंचा। यहां से सीबीआई कोर्ट ने बिहार डीजीपी के शोकॉज नोटिस जारी किया। हालांकि इसके बाद भी सीबीआई लालू यादव को गिरफ्तार नहीं कर पाई थी। तब केंद्र सरकार पर लालू का दबाव इस लेकर था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री आईके गुजराल उनकी पसंद से प्रधानमंत्री बने थे और वहां बिहार से राज्य सभा में गये थे। इसकी वजह से केंद्र सरकार और सीबीआई के दिल्ली में कुछ अधिकारी चाहते थे कि लालू को सीबीआई की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण करने का एक मौका मिलना चाहिए और उनकी गिरफ्तारी न हो। लेकिन यूएन विश्वास भी अपनी जिद पर अड़े थे। लेकिन आखिरकार लालू यादव ने अपनी मर्जी के अनुसार 30 जुलाई को सीबीआई कोर्ट में आत्मसमर्पण किया।

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