उत्तराखंड माने बाप का राज्य – ब्लैकलिस्ट  कम्पनी पर लुटा दिया सरकारी खजाना

 

उत्तराखण्ड पेयजल निगम की एक जांच समिति ने जिस कम्पनी को ब्लैक लिस्ट करने की संस्तुति की थी, विभाग के मुख्य अभियन्ता ने उसी कम्पनी को टेण्डर देकर ईनाम से नबाजा है। मुख्य अभियन्ता ने अधीक्षण अभियन्ता रहते हुये अपने अधिकार क्षेत्र के अधिकतर टेण्डर एक ही कम्पनी को दिये। यह जांच का विषय है कि मुख्य अभियन्ता उस कम्पनी पर इतने मेहरवान क्यो है और जो अतिरिक्त पैसा उस कम्पनी पर लुटाया जा रहा है उसके हिस्सेदार कौन कौन है। सरकारी धन के लूट के इस खेल का खुलासा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गयी सूचना से हुआ है।
निर्माण शाखा, उत्तराखण्ड पेयजल निगम हरिद्वार के अधिशासी अभियन्ता राजेश गुप्ता द्वारा मनमर्जी करते हुये । एक मद से दूसरे मदो के कार्याे का भुगतान कर दिया गया है। साथ ही हैड पम्प कार्य हेतु 70 प्रतिशत कम दरो पर छूटे टेण्डरो को निरस्त कर वर्क आर्डर के द्वारा कार्यो को कराया गया । जबकि जल निगम में बिना उच्च अधिकारीयो की संस्तुति के अधिशासी अभियन्ता स्तर पर कार्य नही कराये जा सकते। बडा विषय यह है कि यदि कोई इनकी शिकायत उच्च स्तर पर बैठे अधिकारीयो को करे तो कैसे जब उत्तराखण्ड पेयजल निगम के मुख्य अभियन्ता संजय सिह ही खुद बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार करके अपनी पसन्दीदा कम्पनीयो को कार्य आंवटित करते है। संजय सिह ने पी0आई0यू0 (अमृत), उत्तराखण्ड पेयजल निगम रूडकी के अधिशासी अभियन्ता पद से स्थान्तरण हो जाने के बावजूद भी 70 लाख रूप्ये का भुगतान कर दिया और जांच के बावजूद उन्हे दण्डित नही किया गया। जबकि बिल्कुल इसी तरह के मामले में अधिशासी अभियन्ता रामनगर  पीके पाण्डे को निलम्बित कर दिया गया था। हैरत की बात है कि एक ही विभाग में एक जैसे कृत्य में हर अधिकारी के लिये नियम भी अलग अलग है। श्री संजय सिह ने जल जीवन मिशन में बतौर अधीक्षण अभियन्ता पौडी रहते हुये 70 प्रतिशत पेयजल योजना जनपद पौडी में तथा शत प्रतिशत पेयजल योजना जनपद रूद्रप्रयाग एवं गोपेश्वर में मै0 यूनीप्रो टैक्नो इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा0 लि0 को आंवटित कर दी थी। जबकि उक्त कम्पनी को देहरादून जनपद में मात्र एक या दो कार्य और कुमाउ मण्डल में एक भी कार्य आंवटित नही हुआ। हैरत की बात यह है उक्त कम्पनी को काली सूची में डालने की संस्तुतिं मुख्य अभियन्ता गंढवाल, अधिशासी अभियन्ता गोपेश्वर व अन्य अधिकारीयो द्वारा प्रबन्ध निदंेशक जल निगम को की जा चुकी थी। इतना होने के बावजूद भी उक्त कम्पनी के बडबोले प्रतिनिधि हल्द्वानी काठगोदाम पेयजल योजना के सन्दर्भ में घोषणा कर चुके थे कि उक्त योजना में 6 टेण्डर भले ही विभाग को प्राप्त हुये हो लेकिन कार्य हमारी कम्पनी को ही मिलेगा। जिसकी लिखित शिकायत एक पत्रकार द्वारा विजिलेन्स को उक्त टेण्डर के अनुबन्ध से पूर्व में ही लिखित में कर दी गयी थी। उक्त कार्य को लेकर विभागीय स्तर पर मुख्य अभियन्ता कुमाउ की अध्यक्षता में गठित समिति ने जांच में पाया था। कि मै0 यूनीप्रो टैक्नो इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा0 लि0 तथा मै0 कश्मीरीलाल कन्सट्रक्शन प्रा0 लि0 दोनों फर्मो द्वारा निविदा की सुसंगत धाराओ का अनुपालन नही किया गया है। इस कमेटी में अधीक्षण अभियन्ता नैनीताल, अधीक्षण अभियन्ता यान्त्रिकी मण्डल कुमाउ, अधिशासी अभियन्ता हल्द्वानी, अधिशासी अभियन्ता यान्त्रिकी शाखा हल्द्वानी शामिल थे। बावजूद उसके श्री संजय सिंह ने हल्द्वानी काठगोदाम पेयजल येाजना का 100 करोड रूप्ये का टेण्डर मै0 यूनीप्रो टैक्नो इंफ्रास्टक्चर प्रा0 लि0 को आंवटित कर दिया। और यही नही उक्त कम्पनी को कार्य देने के लिये मुख्य अभियन्ता कुमाउ का तबादला भी कर दिया गया। यही नही संजय सिह द्वारा बडे पैमाने पर अब तक अपने पद का दुरूप्रयोग करते हुये लगभग हजार करोड के कार्य मनमाने ढंग से चेहते को आवंटित किये गये। इनके द्वारा पौडी जनपद में बिना किसी ठोस कारण के 27 गठित अनुबन्ध निरस्त कर दी गये थे। और उनकी धरोहर राशि को भी जब्त नही किया गया था। और उक्त टेण्डरो का कार्य बाद में अपने चेहते ठेकेदारो से कराया गया। देहरादून के आराधर से मोथरोवाला तक सीवर लाइन कार्य जिसकी लागत लगभग 21 करोड थी। और कार्य की शर्तो को स्थानीय ठेकेदार ने पूरा कर दिया था। कार्य को स्थानीय ठेकेदार से छीनकर मै0 एसएम कन्सट्रक्शन को दिया गया। जिसके विरोध में स्थानीय ठेकेदार माननीय उच्च न्यायालय की शरण में पहुचे। और बताया कि मै0 एसएम कन्सट्रक्शन के द्वारा मथुरा उत्तर प्रदेश में ओवर हैड टैक के घटिया निर्माण कार्य के कारण उसके टुटने से 12 लोगो की मृत्यु हो गयी थी।  जनपद हल्द्वानी में भी श्री संजय सिंह द्वारा 46.28 करोड का कार्य शासन एवं निगम के द्वारा गठित पांच सदस्य समिति को परिवर्तित कर पुनः चार सदस्यो की समिति गठित कर अवैध रूप से अयोग्य ठेकेदार को कार्य आवंटित कर दिया। जनपद पौडी तथा देहरादून में भी दस प्रतिशत प्रतिभूति धरोहर राशि के स्थान पर तीन प्रतिशत धरोहर राशि लेकर अनुबन्ध बनाये तथा देहरादून आराधर पेयजल योजना में 7.50 करोड की प्रतिभूति धन राशि के स्थान पर मात्र दो करोड रूप्ये लेकर अनुबन्ध गठित कर दिया । जनपद पौडी, गोपेश्वर, रूद्वप्रयाग में इसी तरह अपने चेहते ठेकेदारो को लगभग सौ करोड का लाभ पहुचाया। और हाली में काठगोदाम पेयजल योजना में जिस ठेकेदार को जानबुझकर हटाया उसने अपनी लागत 92 करोड बतायी थी। और अयोग्य पाये जाने के बावजूद मै0 यूनीप्रो टैक्नो इंफ्रास्टक्चर प्रा0 लि0 को कार्य 105 करोड में देने की फाइल शासन को भेजी है। इस तरह का भ्रष्ट्राचार जनपद हरिद्वार में जल जीवन मिशन के तहत हुये कार्यो में बडे पैमाने पर है। अधिकांश ठेकेदारो के अनुभव प्रमाण पत्र,खनन रायल्टी बिल, धरोहर राशि, जैसे प्रमाण पत्र फर्जी होने के बावजूद पत्रावलीयो की बिना जांच किये कार्यो के अनुबन्ध कर दिये गये। अधिकांश गांव और कस्बों की सडको कों पानी की लाइन डालने के लिये खोद दिया गया है। उनकी मरम्मत के नाम पर लिपापोती ही जारी है। क्षेत्रिय नागरिक परेशान है।  परन्तु शिकायत कहा और किससे करे जब मुख्य अभियन्ता ही अयोग्य फर्मो को नियम विरूद्व कार्य देगे और प्रबन्ध निदेशक शिकायतो पर संज्ञान लेने के बजाये चुपी साध लेगे । और प्रबन्ध निदेशक की चुपी जनता को परेशान करने एवं डबल इजन की सरकार को बदनाम करने के लिये काफी है।

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