डामरीकरण के इंतजार में कर्णप्रयाग की ग्रामीण सड़कें
चमोली। विकासखंड में लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत कई सड़कें डामरीकरण की राह देख रही है। लंबे समय से ग्रामीण इन सड़कों के डामरीकरण किए जाने की मांग उठा रहे हैं। लेकिन विभाग बजट का रोना रो रहे हैं और ग्रामीण इन सड़कों से जान जोखिम में रखकर आवागमन करने को मजबूर हैं। मैखुरा के देवी प्रसाद मैखुरी, जगदंबा मैखुरी, जितेंद्र कुमार आदि ने बताया कि जयकंडी-मैखुरा मोटर मार्ग के निर्माण को करीब डेढ़ दशक बीत गया। लेकिन अभी तक इस 15 किमी सड़क का डामरीकरण नहीं हो पाया। इस सड़क से ग्वाड़, बणसोली, मैखुरा, कांडा, चोपड़यूं सहित आस पास के गांवों के ग्रामीण आवागमन करते हैं। वहीं करीब पांच साल पहले कटी सड़क डिम्मर-बणसोली की हालात भी खराब है। यही नहीं खेत-निवाड़ी-सिलंगी हालिया कट कर तैयार है। इस सड़क से भी वाहन गुजर रहे हैं। लेकिन आठ किमी के करीब लंबी इस सड़क पर डामर कब होगा यह सवाल बना है। यही नहीं आमसोड़-सेरागाड़ और कांचुला-डोंठला सड़क, बगोली-स्यान आदि सड़कों पर भी डामर नहीं होने से यहां सफर जोखिम भरा साबित हो रहा है।
विभाग के पास नहीं बजट, कैसे होगा डामर
लोनिवि गौचर के एई अमित पटेल का कहना है कि सड़कें लंबी हैं जबकि बजट बहुत सीमित। ऐसे में बड़ी सड़कों पर डामर होना संभव नहीं है। हालांकि विभाग ग्रामीणों की मांग के अनुरूप डामरीकरण के प्रस्ताव शासन में भेजता है। इस बार भी जयकंडी-मैखुरा के अंतिम किमी 14 और 15 पर डामरीकरण का प्रस्ताव शासन में भेजा गया है। स्वीकृति मिलने पर ही काम किया जा सकेगा।