संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का इस मुस्लिम देश ने किया समर्थन, पाकिस्तान और चीन को मिर्ची
जेनेवा
भारत कई दशकों से मांग कर रहा है कि देश को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता दी जाए। भारत ने इसके लिए जी4 गुट के साथ एक अभियान भी शुरु किया है। हाल ही में भारत ने सुरक्षा परिषद के सुधार के दौरान मुस्लिम देश को स्थायी सदस्यता देने की तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के मांग को खारिज किया था। अब संयुक्त राष्ट्र से भारत के लिए एक अच्छी खबर आ रही है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर अंतरसरकारी वार्ता (आईजीएन) के अध्यक्ष ने कहा कि यदि विश्व निकाय के सुरक्षा परिषद के विस्तार पर निर्णय लिया जाता है, तब निश्चित रूप से भारत इसका एक प्रमुख दावेदार होगा।
राजदूत तारिक अलबनई ने कहा, जाहिर है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अगर सुधार होता है, तब उसका उद्देश्य यह होना चाहिए कि वह सभी देशों का सही प्रतिनिधित्व करे। उन्होंने कहा कि भारत आज वैश्विक मंच पर एक अहम और बड़ा देश है। अलबनई ने कहा ‘लेकिन संयुक्त राष्ट्र में कुल 193 देश हैं। इसलिए सुधार करते समय देखना चाहिए कि हर देश की आवाज सुने और सभी सदस्य देशों को प्रतिनिधित्व मिले, न कि सिर्फ कुछ बड़े और ताकतवर देशों को ही जगह दी जाए।’
संयुक्त राष्ट्र में अलबनई कुवैत के स्थायी प्रतिनिधि हैं। उन्होंने कहा कि भारत के स्थायी सदस्यता के दावे को कुवैत समर्थन देता है। अलबनई ने कहा, यदि यह निर्णय लिया जाता है कि परिषद के सदस्यों की संख्या 21 से बढ़ाकर 27 होगी, तब निश्चित रूप से भारत इसमें प्रमुख दावेदार होगा। उन्होंने याद किया कि पिछले साल उन्होंने और ऑस्ट्रिया के सह-अध्यक्ष राजदूत अलेक्जेंडर मार्शिक ने भारत का दौरा किया था और वहां संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार के मुद्दे पर उच्चतम स्तर पर बातचीत की थी।
इसके पहले भारत सहित जी4 देशों ने साफ कह दिया था कि धर्म के आधार पर सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता उन्हें मंजूर नहीं है। वहीं पाकिस्तान चाहता है कि स्थायी सदस्यता का विस्तार किया ही नहीं जाए। इसके जरिए वह भारत को सदस्य बनने से रोकना चाहता है। इस बीच फ्रांस, रूस और अमेरिका जैसे सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य भारत का समर्थन करते हैं। भारत का विरोध चीन कर रहा है जो डर रहा है कि एशिया में उसका दबदबा खत्म हो जाएगा।