शिवपाल-आजम की मुलाकात के क्या हैं मायने समझें कैसे भाजपा को फायदा

 

नई दिल्ली

। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) की हार के बाद पार्टी में बगावत की जो हवा चली थी उसने अब आंधी का रूप लेकर सूबे की राजनीति में बड़ी हलचल पैदा कर दी है। अखिलेश यादव के बागी चाचा शिवपाल यादव और नाराज चल रहे पार्टी के कद्दावर मुस्लिम नेता आजम खान एक साथ आकर यूपी की राजनीति में नया गुल खिलाने के लिए हाथ मिलाते दिख रहे हैं। शुक्रवार को सीतापुर जेल में दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात ने यह काफी हद तक साफ कर दिया है कि सपा के दोनों दिग्गज किसी नए मोर्चे पर साथ दिख सकते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि आने वाले समय में शिवपाल और आजम की जोड़ी का यूपी की सियासत पर क्या असर होने वाला है राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, शिवपाल और आजम के साथ आने से अखिलेश यादव को जितना नुकसान होगा, उतना ही फायदा भाजपा को हो सकता है। अटकलें यह भी थीं कि शिवपाल भाजपा में शामिल हो सकते हैं। लेकिन भाजपा ने उन्हें पार्टी में आने का न्योता देने से परहेज करती रही। मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव को पहले ही पार्टी में शामिल कर चुकी भाजपा को यह आशंका है कि शिवपाल को भी यदि शामिल किया गया तो परिवारवाद को लेकर सपा पर हमले की धार कुंद हो जाएगी। अखिलेश पहले ही कह चुके हैं कि भाजपा उनके उस परिवारवाद को खत्म कर रही है, जिसका वह आरोप लगाती रही है। पार्टी के एक नेता ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि शिवपाल को पार्टी में लेने से अधिक फायदेमंद शिवपाल की ताकत बढ़ाने में है। आजम और शिवपाल साथ मिलकर सपा को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में यह भाजपा के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। समाजवादी पार्टी के नेता और प्रवक्ता अभी इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं। हालांकि, अखिलेश यादव ने यह साफ कर दिया है कि जो भाजपा के साथ है वह सपा में नहीं रह सकता है। पिछले दिनों भाजपा नेतृत्व से मुलाकात कर चुके शिवपाल को लेकर सपा के नेता अनौपचारिक बातचीत में कहते हैं कि उनका रिमोट अभी भाजपा के हाथ में है। वह यह भी कहते हैं कि आजम खान भी जेल से बाहर निकलने के लिए दबाव के तहत सपा से नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि सरकार की सहमित से ही आजम और शिवपाल की जेल में इतनी लंबी मुलाकात हो पाई है। आजम को एक को छोड़कर सभी केसों में जमानत मिल चुकी है। हाईकोर्ट में काफी दिनों से सुरक्षित रखे गए फैसले को जल्दी सुनाए जाने की मांग को लेकर वह सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं।

 

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