दर्शनशास्त्र दिवस पर हुई गोष्ठी आयोजित
ऋषिकेश। श्री दर्शन महाविद्यालय में दर्शनशास्त्र दिवस पर गोष्ठी आयोजित हुई। वक्ताओं ने मानव जीवन में दर्शनशास्त्र के महत्व और इसके प्रभाव की जानकारियां दीं।
मंगलवार को मुनिकीरेती स्थित श्री दर्शन महाविद्यालय में आयोजित गोष्ठी में महाविद्यालय समिति के अध्यक्ष बंशीधर पोखरियाल ने कहा कि भारतीय दर्शनशास्त्र में षड् दर्शनों का विशेष महत्व है। दर्शनशास्त्र एक विशिष्ट प्रकार का विज्ञान है, यह प्रकृति, पुरुष के साथ ही हमें पुनर्जीवन और मोक्षप्राप्ति के उपाय एवं जीवन के कर्तव्य आदि का ज्ञान कराता है। जिस शास्त्र के माध्यम से सांसारिक वस्तुओं के अलावा ब्रह्म जीवात्मा, प्रकृति, पुरुष, इहलौकिक व पारलौकिक, आत्मा, स्वर्ग एवं मुक्ति आदि के विषयों का ज्ञान होता है, उसे ही दर्शनशास्त्र के नाम से जाना जाता है। आध्यात्मिक, आदिभौतिक एवं आदिदैविक का विवेचन दर्शनशास्त्र में ही होता है। इस शास्त्र के माध्यम से ही हम आत्मतत्त्व, ब्रह्मतत्त्व, पृथ्वी, ब्रह्माण्ड आदि की स्थिति को समझने में समर्थ हो सकते हैं। प्राचीन भारतीय ऋषि-मुनियों ने अपने अलौकिक दिव्य चक्षुओं से जो देखा, अनुभूत किया उन्हीं तत्त्वों के उपदेशों को अपने द्वारा रचित दार्शनिक ग्रन्थों में संचित किया। विद्यालय प्रधानाचार्य डॉ. राधा मोहन दास ने षड्-दर्शनों, न्याय , वैशेषिक, सांख्य, योग, पूर्वमीमांसा एवं उत्तरमीमांसा तथा उनके रचयिता- ऋषि गौतम, कणाद, कपिल, पतंञ्जली, जैमिनी एवं आदिगुरु शंकराचार्य के साथ ही वेदान्त के विभिन्न मत मतान्तरों से छात्रों को परिचय करवाया। मौके पर भागवदाचार्य शांति प्रसाद मैठाणी, व्याकरणाचार्य सुशील नौटियाल, ज्योतिषाचार्य कमल डिमरी, आचार्य आशीष जुयाल आदि उपस्थित रहे।