सातवीं मोहर्रम पर इमामबाड़ों को सजाया गया
रुड़की
मोहर्रम महीने की सातवीं तारीख का अपना महत्व है। इस दिन हजरत इमाम हुसैन के बड़े भाई हजरत इमाम हसन के बेटे जनाबे कासिम इस शहादत को याद किया जाता है। सातवीं मोहर्रम पर हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके साथियों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए अजादारों विभिन्न स्थानों पर मजलिसों का आयोजन किया। हजरत इमाम हुसैन और उनके बड़े भाई हजरत इमाम हसन के बेटे हजरत कासिम को याद करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। नगर के विभिन्न इमामबाड़ों सहित लोगों ने अपने घरों में भी मजलिस का आयोजन कर अपनी श्रद्धा के फूल इमाम हुसैन और जनाबे कासिम को पेश किए। हजरत कासिम के नाम की मेहंदी अपने घरों से श्रद्धा पूर्ण तरीके से उठाकर उन्हें इमामबाड़ों में सजाया गया। हर वर्ष लोग अपनी मन्नतें मागंते हैं। मन्नत पूरी होने पर जनाबे कासिम के नाम की मेहंदी उठा कर इमामबाड़े में सजाई जाती है। पठानपुरा स्थित सैयद फहीम जैदी के आवास पर मजलिस का आयोजन किया गया। मौलाना मारुफी ने हजरत कासिम की शहादत का वर्णन भी किया। इसके अलावा नगर के विभिन्न इमामबाड़ो में परंपरागत तरीके से मजलिसों का आयोजन हुआ। शाम के समय लोगों ने अपने घरों में सजाई गई हजरत कासिम के नाम की मेहंदी श्रद्धा पूर्ण तरीके से उठाकर इमामबाड़ों में सजाई। इमामबाड़ा दरबारे हुसैन, बारगाहे जैनबिया, बारगाह ए बाबुल मुराद, इमामबाड़ा कलां सहित मोहल्ला हल्का स्थिति छोटे तथा बड़े इमामबाड़े, नगर के मोहल्ला बंदर टोल, ग्राम टांडा भंनेड़ा, ग्राम जैनपुर झंझेडी तथा कस्बा लंढौरा स्थित इमामबाड़ों में मजलिस का आयोजन किया।