कोरोना के खिलाफ जंग में टीम लीडर सीएम योगी – संक्रमण से उबर 19 दिन में कर डाला 47 जिलों का दौरा
लखनऊ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महामारी के खिलाफ जंग में एक कर्तव्यनिष्ठ टीम लीडर की भूमिका में हैं. चाहे कोरोना की पहली लहर हो या दूसरी वह खुद तैयारियां का जायजा लेने के लिए खुद ग्राउंड पर मौजूद रहे हैं. इस दौरान सीएम योगी खुद कोरोना संक्रमित हुए. लेकिन संक्रमण से उबरने के तुरंत बाद इस अभूतपूर्व चुनौती से निपटने के लिए मैदान में आ डटे।
रोजाना न सिर्फ शासन के वरिष्ठ अफसरों के साथ सूबे में कोरोना प्रबंधन की समीक्षा बैठक कर रहे, बल्कि वर्चुअल संवाद कार्यक्रमों के जरिए समाज के विभिन्न तबकों से रूबरू हो रहे. कोरोना के खिलाफ उन्हें जागरूक कर रहे और इस महामारी से दो-दो हाथ करने के लिए उनका उत्साहवर्धन भी. मुख्यमंत्री 14 अप्रैल को संक्रमित हुए थे और 30 अप्रैल को नेगेटिव आते ही मैदान में मोर्चा संभाल लिया।
लखनऊ में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा बनाए गए डेडीकेटेड कोविड हॉस्पिटल के निरीक्षण से जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह बदस्तूर जारी है. कोरोना के खिलाफ जंग की अगुआई करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीते 19 दिनों में 11 मंडलों के 47 जिलों का दौरा कर चुके हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुरादाबाद, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, मेरठ, अलीगढ़, आगरा और मथुरा जिलों में वह जा चुके हैं।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के 18 शिक्षकों की कोरोना से हुई मौत से चिंतित योगी आदित्यनाथ ने हालात का जायजा लेने खुद कैम्पस पहुंचे. यह 33 साल पहला मौका था जब उत्तर प्रदेश के किसी मुख्यमंत्री ने एएमयू में कदम रखा था. उनसे पहले 1988 में नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री रहते अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पहुंचे थे. ऐसा नहीं है कि योगी आदित्यनाथ सिर्फ जिला मुख्यालयों पर आकर लौट जाते हों, वह हर जिले के कम से कम एक या दो गांव में जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री अपने दौरों में कोरोना पर नियंत्रण पाने के लिए जिलों में स्थापित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की कार्यशैली का निरीक्षण करते हैं. सरकारी अफसरों पर भरोसा करने की बजाय वह हर जिले के सर्वाधिक कोरोना प्रभावित गांवों का अपने स्तर पर चयन किया है. अपने दौरे में वह इन गांवों में जाते हैं, कोरोना पीडि़तों को मेडिकल किट वितरण और स्वच्छता अभियान की हकीकत जानते हैं. खामियां मिलने पर जिम्मेदारों को फटकार लगाते हैं और उच्चाधिकारियों को व्यवस्थाएं ठीक करने की नसीहत देते हैं।