क्या बिना दर्द दी जा सकती हैं मौत की सजा. सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार
नई दिल्ली
मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जिन दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई है, उन्हें फांसी देने के बारे में गौर करने के लिए एक समिति गठित करने पर विचार किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की दलीलों पर गौर कर जनहित याचिका पर ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद सुनवाई के लिए सहमति जाहिर की हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च को केंद्र से डेटा मांगकर पूछा था कि फांसी देने से कितना दर्द होता है ? आधुनिक साइंस और तकनीक का फांसी की सजा पर क्या विचार है ? क्या देश या विदेश में मौत की सजा के विकल्प का कोई डेटा है? सुनवाई के दौरान सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता और एजी वेंकटरमनी से कहा था कि हां, यह चिंतन का विषय है। हमें अपने हाथों में कुछ वैज्ञानिक डेटा चाहिए। हमें विभिन्न तरीकों से होने वाली पीड़ा पर कुछ अध्ययन दें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हमें सुझाव दे सकते हैं कि समिति में कौन शामिल हो सकता है। यहां तक कि घातक इंजेक्शन भी दर्दनाक है, वहीं गोली मारना मानवाधिकारों के पूर्ण उल्लंघन में सैन्य शासन का पसंदीदा समय था।