460 करोड़ खर्च कर कितनी साफ होगी यमुनाः अजय

मथुरा।

जन सहयोग समूह के संयोजक अजय अग्रवाल लगातार यमुना प्रदूषण पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली  मुख्यमंत्री कार्यालय, नमामि गंगा (यमुना कार्य योजना), प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ ही कई अन्य विभागों के साथ पिछले पांच वर्ष में पत्राचार किया है। सभी ने यमुना प्रदूषण तथा अनाधिकृत कॉलोनी के निर्माण को स्वीकार तो किया परन्तु ठोस कार्रवाई से सभी कतराते रहे। सवाल बहुत सीधा सा है कि संसार के पतितों को पवन करने वाली मां यमुना आज पीड़ित है और इसकी पीड़ा कब दूर होगी। इसका उत्तर किसी के पास नहीं है।
उन्होंने कहाकि मैंने जब प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखा तो यह विशेष बात रही की हर पत्र का न सिर्फ मुझे उत्तर मिला अपितु सम्बंधित विभाग को भी कारवाई के लिए लिखा गया। बावजूद इसके विभागों का टाल मटोल रवैया आज तक बना हुआ है। अजय अग्रवाल ने बताया कि पत्राचार के दौरान उन्हांेने जिन बिन्दुओं को उठाया और यमुना प्रदूषण के लिए जिम्मेदार माना है उनमें बढ़ती जनसंख्या, बांधो का अव्यवस्थित और मनमाना संचालन, नालों और सीवर का सीधे यमुना में गिरना, कई राज्यो द्वारा यमुना जल पर एकाधिकार जैसा मनमाना कार्य किया जाना। जनप्रतिनिधियों का उदासीन रवैया। सरकारी विभागों के लिए सोने के अंडे देने वाली मुर्गी साबित होना। ट्रीटमेंट प्लांटों का अव्यवस्थित संचालन, संसाधनों की कमी तथा कर्मचारियों की मनमानी। भू माफियाओं द्वारा अनाधिकृत कालोनी अवैध कब्जे तथा शहरों तथा गांव में पोखरों पर कब्जे हैं। इन सभी कारणों में बढ़ती जनसंख्या पहला और मुख्य कारण है लेकिन इस बात को ढाल बना लेना अपने उत्तर दायित्व से बचने जैसा है वर्तमान में  मथुरा में नमामि गंगे द्वारा 460 करोड़ से ज्यादा खर्च करके ट्रीटमेंट प्लांटों का निर्माण हुआ है अब देखना यही है कि जनता के करोड़ो खर्चने के बाद भी यमुना आचमन योग्य होती है या नही?

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