उ.प्र.मा.प्रा.वि.शिक्षक संघ ने राहत पैकेज की मांग को लेकर जिला मुख्यालय का घेराव किया
सहारनपुर
उ.प्र.मान्यता प्राप्त विद्यालय शिक्षक संघ से जुड़े शिक्षक आज हकीकत नगर स्थित रामलीला ग्राउण्ड में एकत्र हुए तथा वहां से हाथी में बैनर लिए जिला मुख्यालय पर पहुंचे और राहत पैकेज की मांग को लेकर जोरदार नारेबाजी कर प्रदर्शन किया तथा मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में सिटी मजिस्टेªट को सौंपा। प्रदर्शनकारियों ने लगभग एक घंटे तक जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव कर सरकार विरोधी नारे लगाये और स्कूल खोलने की मांग की, बामुश्किल अधिकारियों के मान मुनव्वल के बाद प्रदर्शनकारी शांत हुए।
प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा.अशोक मलिक ने कहा कि कोविड-19 की महामारी के दौरान पिछले एक वर्ष से अधिक समय से निजी स्कूल बन्द हैं, सरकार द्वारा सूखा राहत पैकेज, किसानों को आर्थिक सहायता, दैवीय आपदा का पैकेज तो दिया गया लेकिन सरकार द्वारा निजी स्कूल संचालकों को उनकी आजीविका चलाने के लिए कोई राहत पैकेज न देना निजी स्कूल संचालकों व प्राईवेट शिक्षकों के साथ खिलवाड़ किया गया है।
श्री मलिक ने कहा कि यदि सरकार आर्थिक तंगी के कारण निजी स्कूलों को राहत पैकेज नहीं दे सकती तो सांसद, विधायकों को दिये जाने वाले वेतन व पेंशन को बंद करना चाहिए या परिषद के अध्यापकों का आधा वेतन निजी स्कूल संचालकों को दिया जाये, क्योंकि निजी संस्था 90 प्रतिशत बच्चे संस्कृत बोर्ड, मदरसा बोर्ड, सीबीएससी बोर्ड और हिन्दी माध्यम बोर्ड के माध्यम से हम पढ़ाते हैं, अन्यथा निजी स्कूल संचालकों को भी आर्थिक राहत पैकेज दिया जाये।
बालेश्वर त्यागी व समरीन फातमा ने कहा कि निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत निःशुल्क गरीब बच्चों को शिक्षा दी जाती है तो निजी स्कूलों के 25 प्रतिशत शिक्षकों को भी बेसिक शिक्षा परिषद के समान वेतन दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गत सरकारों द्वारा संस्कृत अध्यापकों को त्रिभाषा अनुदान दिया जाता था, लेकिन भाजपा सरकार द्वारा त्रिभाषा संस्कृत अध्यापकों को कोई अनुदान नहीं दिया जा रहा है, संस्कृत
अध्यापक भूखमरी की कगार पर हैं, अविलम्ब त्रिभाषा अनुदान बहाल किया जाये।
जिलाध्यक्ष के.पी.सिंह, अमजद अली व वजाहत ने कहा कि गत वर्षों का 2016-17 से लेकर 2020-21 तक का करीब 500 करोड़ से अधिक शुल्क प्रतिपूर्ति बकाया है। यह अविलम्ब शुल्क प्रतिपूर्ति जारी की जाये, वरना मजबूर होकर गरीब, दुर्बल वर्ग के शासन के द्वारा थोपे गये बच्चों को स्कूल से बाहर निकालने के लिए बाध्य होंगे, जिसकी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।
उन्होंने कहा कि जिन निजी स्कूलों में 100 से 500 बच्चे अध्ययनरत हैं, उन्हें सरकार की गाइड लाईन के अनुसार स्कूलों को खोलने की अनुमति दी जाये, निजी विद्यालय स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा बिना लाभ हानि के संचालित किए जाते हैं, लाॅकडाउन के चलते संस्थाओं में फीस नहीं आ रही है, इसलिए बिजली का बिल, हाउस टैक्स, विद्यालय ऋण,स्कूल की वैन की किश्त आदि माफ की जाये।
प्रदर्शनकारियों में गयूर आलम, सरफराज खान, वजाहत, के.पी.सिंह, समरीन, अमजद अली एडवोकेट, नकली राम उपाध्याय, लोकेश वत्स, जितेन्द्र गोरियान, शिव कुमार मालियान, रजनीश त्यागी, अरविंद शर्मा, नरेश वर्मा, प्रकाश पाण्डेय, जावेद, ऋषिपाल सैनी, प्रवीन गुप्ता, संजय रोहिला, दिनेश रूपडी, सुभाष चन्द, मुक्तदीर, नरेश वर्मा, शीशपाल, ललित धीमान, बिजेन्द्र प्रधान, भूप सिंह, विनोद, रमेश, मशरूर, मुजाहिद, डा.अयाज, बालेश्वर त्यागी, शशी राणा, दीक्षा गौतम, संजना, शिवानी, काजल, रेखा चैधरी, सुषमा, दीपा, ममता, विनोशी राम, प्रदीप प्रवेज अली, अशोक पंवार, रजनीश त्यागी, बी.एन.पाण्डेय,शिवम, रोहित,राकेश आदि मुख्य रहे।
अध्यक्षता बालेश्वर त्यागी तथा संचालन प्रवीन गुप्ता ने किया।