कृष्ण जन्म प्रसंग के भावामृत का रसपान कर भाव विभोर हुए श्रोता
देहरादून। श्रीमद्भागवत वह ज्ञान है, जिसे अर्जित कर नास्तिक भी कर्म के पथ पर बिना किसी बाधा के चल पड़ता है। श्रीमद्भागवत के ज्ञानामृत से पापी एवं लोभी भी हर प्रकार की बुराई छोड़ कर अच्छे कर्मों का आलम्बन थाम लेते हैं। यह बात आचार्य बृज मोहन मैठाणी ने अपर सारथी विहार, धर्मपुर में चल रही श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ में कही।
दरमोडा निवास में चल रही कथा में उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनाया। जिसे सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। कथा के दौरान जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग आया, समूचा पंडाल श्रद्धा के सागर में डूब गया। नन्द के घर आनंद भयो जय कन्हैयालाल की के जयकारों से पंडाल गूंज उठा। उन्होने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। भगवान कृष्ण ने संसार को अंधेरे से प्रकाश में लाने के लिए जन्म लिया और अज्ञान रूपी अंधकार को ज्ञानरूपी प्रकाश से दूर किया। मौके पर कथा के यजमान भूपेंद्र दरमोडा, हरीश चन्द्र दरमोडा समेत अनेक श्रोता मौजूद थे।