युवा संत गांवों को गोद लेकर राष्ट्र-धर्म के उत्थान के लिए काम करें

हरिद्वार। विश्व हिंदू परिषद की मंगलवार को युवा संत चिंतन संगोष्ठी में राष्ट्र निर्माण में युवा संतों की भूमिका पर चिंतन किया गया। स्वतः प्रकाश आश्रम में हुई संगोष्ठी में देश भर से आए युवा संतों ने भागीदारी की। युवा संत चिंतन संगोष्ठी में कार्यक्रम की प्रस्तावना विश्व हिन्दु परिषद के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने युवा संत धर्माचार्यों के समक्ष प्रस्तुत की। संगोष्ठी का संचालन विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक तिवारी ने किया।
युवा संत चिंतन संगोष्ठी के संयोजक देवी संपत मण्डल के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद सरस्वती ने उपस्थित युवा संतों से राष्ट्र, धर्म, समाज के प्रति संतों के कर्तव्य और दायित्व के संबंध में अपने विचारों को सबके समक्ष रखने का आह्वान किया। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि वर्तमान समय की आवश्यकता है कि प्रत्येक संत एक ग्राम को गोद लेकर राष्ट्र, धर्म, संस्कार और संस्कृति के उत्थान के लिए कार्य करे।
महामंडलेश्वर आत्मानंदपुरी और महामंडलेश्वर स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश (उदासीन) ने कहा कि हिंदुत्व की रक्षा और उसके संवर्धन के लिए युवा संतों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। विपरीत परिस्थितियों में युवा संतों को समाज का मार्गदर्शन करने को तैयार रहना होगा। महामंडलेश्वर ज्योतिर्मयनंद गिरी और महामंडलेश्वर रामेश्वरानंद सरस्वती ने समाज में सौहार्द्रपूर्ण वातावरण के लिए सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन से आदर्श परिवार का निर्माण, संस्कारशालाएं जैसे कार्यों की आवश्यकता पर बल दिया।
श्रीमहंत विष्णुदास ने बाल संस्कारशालाओं में बच्चों को संस्कारित करने का सुझाव दिया। युवा संत चिंतन संगोष्ठी में महामंडलेश्वर स्वामी शिवप्रेमानंद पुरी, महामंडलेश्वर स्वामी दयानंद, सोहम पीठाधीश्वर स्वामी सत्यानंद, महामंडलेश्वर अभयानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर चिदंबरानन्द सरस्वती आदि धर्माचार्य संत-महंतों ने मार्गदर्शन किया। संगोष्ठी में विहिप के संरक्षक दिनेश चंद्र, केंद्रीय उपाध्यक्ष जीवेश्वर मिश्र, प्रांत संगठन मंत्री उत्तराखण्ड अजय कुमार उपस्थित रहे। संगोष्ठी के आयोजन में अनुज वालिया, बलराम कपूर, नितिन गौतम, मयंक चौहान प्रमुख भूमिका रही।

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