प्रशासन की वादाखिलाफी पर भड़की गोंड़ महासभा
मऊ।
सोमवार को अखिल भारतवर्षीय गोंड़ महासभा के बैनर तले सोमवार को सदर तहसील के सामने सड़क पर धरना-प्रदर्शन किया। गत 18 अक्टूबर को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी करने के वादे पर प्रशासन के खरा नहीं उतरने पर गोंड़ समाज भड़क गया। गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकालकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए तहसील पहुंचे। यहां तहसील की तरफ आती भीड़ देख कर्मचारियों ने मुख्य गेट बंद कर लिया। प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे एसडीएम सदर ने मनाने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी। जाति प्रमाण पत्र जारी होने तक तहसील गेट के सामने धरना का ऐलान कर दिया। गाजीपुर तिराहे पर दोपहर 12 बजे तक गोड़ समाज के महिला-पुरुष व छात्र-छात्राएं जुटे। गाजे-बाजे व गोंड़ऊ नृत्य करते हुए प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट कैंपस से करीब से होते हुए सदर तहसील पहुंचे। तहसील गेट पर उनके पहुंचते ही कर्मचारियों ने मेन गेट बंद कर दिया। इससे खफा होकर गेट के सामने जमीन पर नीचे ही बैठकर तहसील तथा आरटीओ जाने वाले रास्ते को जाम कर दिया। घंटों जाम के बाद गेट खुला तो आन्दोलनकारी अन्दर तहसील परिसर में प्रवेश कर गये। शहर कोतवाल भी दल-बल के साथ वहां पहुंच गये। उसके बाद उपजिलाधिकारी सदर मौके पर पहुंचे और आन्दोलन खत्म करने का आग्रह किया। गोेंड़ समाज के नेताओं ने कहा कि बीते 18 अक्टूबर को कलेक्ट्रेट परिसर में चल रहे धरना को रात आठ बजे अपर जिलाधिकारी, सिटी मजिस्ट्रेट, उपजिलाधिकारी सदर के आश्वासन पर महासभा ने खत्म कर दिया था। इस दौरान अखिल भारतवर्षीय गोंड़ महासभा के जिला महामन्त्री केदारनाथ गोंड़, पूर्व जिलाध्यक्ष रमाकांत गोंड़, महामंत्री एडवोकेट केदारनाथ गोंड़, पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेश चन्द्र गोंड़, भूपेन्द्र गांेड़, रामअवध गोंड़, राजेश गांेड़, रामजीत गोंड़ आदि शामिल रहे।