पछुवादून क्षेत्र में खिले टेसू (पलाश) के फूल

विकासनगर

होली पर्व का संदेश देते हुए पछुवादून क्षेत्र में टेसू (पलाश) के फूल खिल गये हैं। पलाश के पेड़ों की शाखाएं फूलों से लकदक हो गई हैं। जो, हर किसी को अपनी ओर आर्कषित कर रही हैं। पौराणिक समय में लोग टेसू के फूलों से शुद्ध और हर्बल होली के रंग बनाया करते थे। जोकि, समय के साथ-साथ लुप्त हो गये हैं। हालांकि, कुछ ग्रामीण इलाकों में आज भी ग्रामीण इन फूलों से रंग तैयार करते हैं। होली आने से पहले ही टेसू के पेड़ फूलों से लद जाते हैं। ऐसा ही हाल, इन दिनों क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। विकासनगर सहित बादामावाला, गुडरिच, उदियाबाग, लेहमन आदि टी स्टेट के साथ आसपास के इलाकों में टेसू (पलाश) के फूलों की बहार आ गई है। जो, खुद-ब-खुद लोगों को होली का संदेश दे रहे हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार क्षेत्रवासी टेसू के फूलों से रंग बनाकर होली खेलते थे। इतना ही नहीं, यही फूल लोगों को होली के आगमन का संदेश भी देते थे। बुजुर्ग मेहर सिंह, महेन्द्र कुमार, बलदेव राठौर, सेवाराम आदि की माने तो इन फूलों को पानी में भिगाकर रखने के बाद बर्तन में डालकर खूब पकाया जाता था। जिसके बाद केसरिया रंग प्राप्त होता था। इससे लोग होली खेला करते थे। साथ ही, प्राकृतिक रूप से बनने वाले इन फूलों का रंग त्वचा को नुकसान भी नहीं पहुंचाता था। बताया कि पलास, टेशू, केसू, टिंशुक आदि नामों से पहचाने जाने वाले इस फूल में अनेक औषधिय गुण विद्यमान हैं। इसके रंग का मानव शरीर पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इससे रोगग्रस्त शरीर को निरोग बनाने में तो मदद मिलती ही है, साथ ही यह नीरस जीवन में आनंद-उमंग भरने में भी सहायक सिद्ध होता है। हालांकि, वर्तमान समय में आधुनिकता के साथ टेसू का महत्व भी समाप्त होता जा रहा है। नई पीढ़ी को टेसू के फूलों से रंग बनाने के साथ उनके महत्व की भी जानकारी नहीं है।

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