मध्यप्रदेश में जुगाड़ से चल रही आंगनबाडिय़ों को 90 करोड़ में बनाया जाएगा
भोपाल,
मध्यप्रदेश में वर्तमान में संचालित कुल 97 हजार 135 आंगनबाड़ी एवं मिली आंगनबाड़ी केन्द्रों में से 44481 केन्द्र विभागीय अथवा अन्य शासकीय भवनों में संचालित हो रहे हैं। वहीं 25405 आंगनबाड़ी केन्द्र किराए के भवनों में संचालित किए जा रहे हैं। 2721 केन्द्र ऐसे भी हैं जो शासकीय भवनों में तो नहीं हैं, लेकिन इनका किराया भी नहीं दिया जा रहा है, जबकि 382 कार्यकर्ता के घर, 157 सहायिका के घर सहित कुल 25390 आंगनबाड़ी केन्द्र ऐसेे भी हैं जो अन्य लोगों के घरों में संचालित किए जा रहे हैं। राज्य शासन, महिला एवं बाल विकास विभाग ने प्रदेश के अलग-अलग शहरों में 1993 आंगनबाड़ी केन्द्र भवनों के निर्माण के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में 89 करोड़, 95 लाख 40 हजार रुपये जिलों को आवंटित किए थे। प्रत्येक आंगनबाड़ी केन्द्र के मान से यह राशि चार लाख 51 हजार 350 रुपये है। विधायक दिलीप परिहार द्वारा विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रदेश में भवन विहीन आंगनबाड़ी केन्द्रों का भवन निर्माण के लिए कुल राशि 899540000 रुपये जिलों को आवंटित की गई है तथा आवंटित राशि के विरुद्ध 1993 आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण की स्वीकृति जारी की गई है। निर्माण कराए जाने वाले भवनों सहित व्यय की जाने वाली राशि का जिलेवार विवरण भी मुख्यमंत्री ने उपलब्ध कराया है। मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में दिए गए उत्तर के माध्यम से यह खुलासा हुआ है कि नीमच जिले के परियोजना अधिकारी ग्रामीण नीमच द्वारा भवन विहीन, आंगनबाडिय़ों की उपलब्ध कराई गई सूची में दो ऐसे आंगनबाड़ी केन्द्र ग्राम चेनपुरा डेम और बेलारी के नाम भी जोड़ दिए गए जो पहले से बने हुए हैं। बताया गया कि यह त्रुटिपूर्ण जानकारी के आधार पर जनप्रतिनिधियों से अनुमोदन कराया गया। हालांकि जिला स्तर पर समीक्षा के बाद इन दोनों आंगनबाड़ी केन्द्रों को आंगनबाड़ी निर्माण हेतु तकनीकी स्वीकृति में शामिल नहीं किया गया। जनप्रतिनिधियों को गलत जानकारी उपलब्ध कराए जाने को लेकर जिला अधिकारी महिला एवं बाल विकास, जिला नीमच ने परियोजना अधिकारी को 28 फरवरी 2022 को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। मध्यप्रदेश में स्वयं के भवन विहीन 41237 आंगनबाड़ी अथवा मिली आंगनबाड़ी केन्द्र पंचायत भवनों में संचालित हैं तो 168 आंगनबाड़ी केन्द्र शहरी नगर पालिका/नगर निगम के भवनों में संचालित हो रही हैं। 13 ग्रामीण विकास/डीआरडीए के भवनों में तो 2176 आंगनबाड़ी केन्द्र आईसीडीएस के भवनों में संचालित हो रहे हैं। 620 प्राथमिक विद्यालयों में आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हो रहे हैं तो 262 किन्हीं अन्य भवनों में संचालित हो रही हैं। यह आंकड़ा किराए के भवनों में संचालित आंगनबाडिय़ों का है, जिन्हें विभाग ने स्वयं का भवन बनाकर नहीं दिया है। मध्यप्रदेश में महिला एवं बाल विकास संचालनालय का गठन 15 अगस्त, 1968 को किया गया था। इसके बाद ही महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित समस्त योजनायें आदिम जाति कल्याण विभाग और पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग से इस संचालनालय को हस्तांतरित की गई। प्रारंभिक दो वर्षों तक यह संचालनालय पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रशसकीय नियंत्रण में रहा। वर्ष 1988 में पृथक से महिला एवं बाल विकास विभाग का गठन किया गया। महिला एवं बाल विकास विभाग के हितग्राही समाज के कमजोर वर्ग, महिला एवं और बच्चे हैं, जिनके विकास व कल्याण का कार्य आसान एवं अल्प अवधि में पूरा होने वाला नहीं है। विभाग की कई योजनाओं का विस्तार हुआ है, वहीं लाड़ली लक्ष्मी योजना, अटल बाल मिशन, समेकित बाल संरक्षण योजना जैसी नई योजनाएं भी संचालित की जा रही हैं। विभाग का दावा है कि विभाग के प्रयासों से समाज में महिलाओं की स्थिति में निरंतर सुधार हुआ है, महिलाओं में अपने अधिकारों व हितों के प्रति जागरुकता आई है, बच्चों में कुपोषण में कमी आई है।